बांग्ला भाषा के सम्मान की लड़ाई में बनें भागीदार:एमए अली

कोलकाता: बांग्ला भाषा के सम्मान की लड़ाई शुरू हो चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय कराटे कोच और चैंपियन एमए अली ने इस आंदोलन में सभी से साथ देने की अपील की है।
२० जून को बांग्लादेश की मशहूर साहित्यकार बेगम सूफिया कमाल की जयंती है। इस मौके पीआर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बांग्ला भाषा के विश्वविख्यात साहित्यकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के ऐतिहासिक निवास पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें देश-विदेश के कई लेखक और साहित्यकार शामिल हुए। पड़ोसी देश बांग्लादेश के भी कई साहित्यकार कार्यक्रम में शामिल हुए थे। मजे की बात ये है कि साहित्यकारों की इस महफिल में मुख्य अतिथि किसी साहित्यकार को नहीं, बल्कि खेल जगत की मशहूर हस्ती अंतर्राष्ट्रीय कराटे कोच और चैंपियन एमए अली को बनाया गया था।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एमए अली ने कहा कि बांग्ला हमारे राज्य की सरकारी भाषा है। राज्य के ज्यादातर लोग बांग्ला भाषा में बात करते हैं। इसके बावजूद राज्य की भाषा को राज्य में ही उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। जो बेहद दुखद है। राज्य के ज्यादातर प्राइवेट स्कूल और कंपनियों के साईन बोर्ड बांग्ला भाषा के बजाय अंग्रेज़ी में होना अपमानजनक है। इसके खिलाफ मैंने आवाज उठाई है, जो अब एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। मेरी राज्य के तमाम लोगों से ये अपील है कि वो इस आंदोलन में हमारा साथ दें।
एमए अली ने कहा कि बांग्ला भाषा के सामान की इस लड़ाई में बड़ी तादाद में लेखक और साहित्यकार शामिल हो रहे हैं। इस आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए जुलाई के पहले सप्ताह में कॉफी हाउस में एक अहम बैठक होगी।
एमए अली ने कहा कि मेरी इच्छा है कि इस साल सितंबर में बैंगकॉक में होने वाले वर्ल्ड मीट 2022 में बांग्ला भाषा के साहित्यकारों को भी सम्मानित किया जाए। इस मुद्दे पर 27 जून को होने वाली बैठक में फैसला लिया जाएगा।

Leave a Reply

Shares