पैसों की तंगी के चलते शायद इस बार बैंगकॉक वर्ल्ड मीट में भाग न ले पाएं कोलकाता की सात कराटे खिलाड़ी लड़कियां

कोलकाता: किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि पैसा खुदा तो नहीं है, पर खुदा की कसम खुदा से कम भी नहीं है। यही बात इन दिनों कोलकाता की सात लड़कियों आयशा नूर, मोनीमाला हल्दर, इरम सेराज, शीना फैयाज, उम्मे रूमान, हुमैरा शमी और सूफिया खातून के दिल और दिमाग में भी चक्कर लगा रहा है। क्योंकि खुदा ने इन लड़कियों को प्रतिभा तो खूब दी है, लेकिन दौलत नहीं दी है। जिसके चलते शायद इस साल ये सातों लड़कियां मार्शल आर्ट्स के सबसे बड़े मुकाबले वर्ल्ड मीट में हिस्सा न ले पाएं।

बता दें कि बैंगकॉक में हर साल 20 सितंबर को मार्शल आर्ट्स का दुनिया का सबसे बड़ा मुकाबला आयोजित होता है। पिछले साल इन सात में से छह लड़कियों ने वर्ल्ड मीट 2022 में भाग लिया था और दुनिया के बड़े लड़कों को हरा कर भारत के लिए मेडल जीता था। इनकी प्रतिभा के आधार पर वर्ल्ड मीट 2023 में एक बार फिर इन लड़कियों का चयन हुआ है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो वर्ल्ड मीट में हिस्सा लेने के लिए बैंगकॉक जा सकें।
आयशा नूर, मोनीमाला हल्दर, इरम सेराज, शीना फैयाज, उम्मे रूमान, हुमैरा शमी और सूफिया खातून पिछले कई साल से कोलकाता के रामलीला पार्क में अंतरराष्ट्रीय कराटे कोच और चैंपियन एमए अली से फुल कॉन्टैक्ट कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं। इन में से आयशा नूर और मोनीमला हालदार तो देश और विदेश में कई प्रतियोगिता जीत चुकी हैं। सातों लड़कियां बेहद गरीब परिवार से हैं। पिछले साल लोगों से मांग कर इनलोगों ने किसी तरह वर्ल्ड मीट में भाग लेने का इंतजाम किया था। लेकिन हर साल ऐसा होना संभव नहीं है। इसलिए शायद ये प्रतिभावान कराटे खिलाड़ी इस बार वर्ल्ड मीट में अपने देश का प्रतिनिधित्व न कर पाएं।
उनका कहना है कि लोगों से पैसे मांगने में शर्म महसूस होती है। बार बार लोगों से पैसे मांगना ठीक नहीं लगता है।
कुछ लोग गलत तरीके से भी सोचने लगते हैं। अब हमारी आखिरी उम्मीद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से है। दीदी अगर हमें आर्थिक मदद दे दें तो हम इस बार भी वर्ल्ड मीट में देश के लिए मेडल जीत कर लाएंगे। हमें उम्मीद है कि हमारी प्यारी ममता दीदी हमारी मदद जरूर करेंगी।

Leave a Reply

Shares