स्पोर्ट्स कराटे की किसी भी संस्था को मान्यता देने से सरकार का इनकारः पारंपरिक कराटे, मास्टर एमए अली ने किया फैसले का स्वागत

कोलकाताः केंद्रीय खेल मंत्रालय ने कराटे स्पोर्ट्स के नियंत्रण वाली राष्ट्रीय स्तर की किसी भी संस्था को मान्यता देने से इनकार कर दिया है.

बता दें कि कराटे से संबंधित चार संस्थाओं ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की था. उन संस्थाओं ने उन्हें देश में कराटे के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था के तौर पर मान्यता देने की अपील की थी. अदालत के निर्देश पर केंद्रीय युवा मामलों व खेल मंत्रालय ने कराटे की चार संस्थाओं के साथ बैठक की और उन्हें अपनी बातें रखना का मौका दिया. भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के दिशा-निर्देशों के अनुसार मान्यता प्रदान करने के अनुरोध की जांच की गई. जांच में पाया गया कि कोई भी दावेदार मान्यता के मानदंडों को पूरा नहीं करता है. जिसके बाद उनके आवेदन रद्द कर दिए गये.

अंतरराष्ट्रीय कराटे कोच और चैंपियन एमए अली ने खेल मंत्रालय के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने बताया कि कराटे दो तरह का होता है. एक फुल कांट्रेक्ट कराटे और दूसरा नॉन कांट्रेक्ट कराटे. नॉन कांट्रेक्ट कराटे को खेल के तौर पर ओलंपिक में मान्यता मिली हुई है. 30-35 साल पहले देश में नॉन कांट्रेक्ट कराटे की सिर्फ एक राष्ट्रीय संस्था थी, जो बाद में टूट कर चार हिस्सों में बंट गये थे.

एमए अली ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इन संस्थाओं ने कराटे के नाम पर देश में लूट मचा रखी है. यह लोग पैसा लेकर बच्चों को ग्रेड और बेल्ट देते हैं. विदेश में खेलने के लिए सलेक्शन के नाम पर पैसे लिए जाते हैं. पैसे के दम पर जिला और राज्यस्तरीय संस्थाओं को एफिलिएशन दिया जाता है. उन्होंने कहा कि नॉन कांट्रेक्ट कराटे की संस्थाओं से जो भी लोग और संस्थाएं जुड़ी हैं, उन्हें हर जगह से हटाना चाहिए. तभी कराटे का भला होगा.

एमए अली ने कहा कि हमलोग गरीब बच्चों को मुफ्त में फुल कांट्रेक्ट कराटे सिखाते हैं. यही असल कराटे है. नॉन कांट्रेक्ट कराटे तो सिर्फ एक खेल है, जिसके जरिए आत्मरक्षा करना संभव नहीं है. फुल कांट्रेक्ट कराटे के जरिए ही लोग आत्मरक्षा कर सकते हैं. अपराधियों से अपना बचाव कर सकते हैं.

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