बंगाली भाषा को सम्मान देना जरूरी, स्कूलों के साइनबोर्ड बंगाली भाषा में होना जरूरीः एमए अली
कोलकाताः बंगाली पश्चिम बंगाल की प्रथम भाषा है. इसके बावजूद राज्य के ज्यादातर स्कूल, विशेषरुप से अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के साइनबोर्ड में बंगाली भाषा का नामोनिशान नजर नहीं आता है. इस पर अंतरराष्ट्रीय कराटे कोच और चैंपियन एमए अली ने आपत्ति जताई है. उन्होंने मांग की है कि कम से कम स्कूलों के साइनबोर्ड तो बंगाली भाषा में जरूर होने चाहिए.
समाजसेवा के क्षेत्र में शानदार योगदाने के लिए एमए अली को पूर्व भारत बांग्ला साहित्य व सांस्कृति परिषद की तरफ से स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. कॉलेज स्ट्रीट स्थित त्रिपुरा हितसाधनी सभाघर में उन्हें यह पुरस्कार दिया गया.
इस मौके पर कला व साहित्य जगत की कई नामचीन हस्तियां मौजूद थीं. जिनमें जगनमय मिश्रा, स्वपन कुमार दास, दिलीप कुमार मंडल, देवब्रत दत्ता, तुषाराकांति मुखोपाध्याय, नवोचंचल विश्वास, विधान घोष इत्यादि प्रमुख थे.
इस मौके पर एमए अली ने कहा कि बंगाली भाषा पश्चिम बंगाल की मातृभाषा है. पर अफसोस की बात यह है कि लोग इस बेहद मीठी और प्यारी भाषा से दूर होते जा रहे हैं. जिसके लिए खुद यहां के लोग जिम्मेदार हैं. जो अपने बच्चों को गुड मॉर्निंग और गुड नाइट कहना सिखा रहे हैं. जो बंगाली संस्कृति के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हजारों अंग्रेजी माध्यम के स्कूल है, पर किसी भी अंग्रेजी स्कूल का साइनबोर्ड बंगाली भाषा में नहीं है. बंगाली बंगाल के आमलोगों की भाषा है. उसे सम्मान देना जरूरी है. इसलिए स्कूलों को चाहिए कि वो अपने साइनबोर्ड पर बंगाली भाषा में भी स्कूल का नाम लिखें. सरकार को भी इस पर ध्यान देना चाहिए.
एमए अली ने कहा कि आज कल के बच्चे हर वक्त मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. जिसके चलते बच्चे किताबों से और अपनी भाषा से दूर होते जा रहे हैं. बंगाली भाषा को अगर बचाना है तो बच्चों को किताब पढ़ने की आदत दिलानी होगी. मोबाइल की वजह से उनकी पढ़ाई का भी नुक्सान हो रहा है. साथ ही वो बुरी आदतों का भी शिकार बन रहे हैं. इस पर ध्यान देना बेहद जरूरी है.