पश्चिम बंगाल सरकार की स्वास्थ्य साथी योजना: उपयोगी या अनुपयोगी?

पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य साथी कार्ड को लेकर कई बार शिकायतें सुनने को मिलती हैं। कई अस्पताल और नर्सिंग होम इस सरकारी कार्ड को स्वीकार नहीं करना चाहते। ऐसा क्यों होता है कि सरकारी योजनाओं के तहत स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से वंचित होना खबरों में अक्सर आता है? जनता की शिकायतें हैं कि नर्सिंग होम और अस्पताल सरकारी स्वास्थ्य कार्ड को स्वीकार नहीं करते, जिससे आम लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, अस्पताल और नर्सिंग होम के अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य साथी कार्ड के लिए भुगतान प्राप्त करने में उन्हें दिक्कत होती है, और कई बार पैसा समय पर नहीं मिलता।

न्यूटाउन, कोलकाता के ओहायो अस्पताल और मेडिकल सेंटर की कार्डियोलॉजी विभाग की प्रमुख चिकित्सक जयती रक्षित ने स्वास्थ्य साथी कार्ड के सही उपयोग से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में बताया।

डॉ. जयती रक्षित ने कहा, “अब यह देखा जा रहा है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों से कई मरीज स्वास्थ्य साथी कार्ड के साथ हमारे पास आ रहे हैं। यह पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रदान किया गया एक स्वास्थ्य कार्ड है। यह स्वास्थ्य साथी कार्ड एक बहुत ही उपयोगी और मूल्यवान कार्ड है, क्योंकि राज्य सरकार इसके जरिए विभिन्न चिकित्सा लाभ प्रदान कर रही है। लेकिन हम और हमारे मरीज इस कार्ड के उपयोग के बारे में अच्छी तरह से जागरूक नहीं हैं। इसीलिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग शिकायतें सुनने को मिलती हैं। हमें यह अच्छी तरह से जानना होगा कि इस कार्ड का उपयोग किस मामले में और कैसे करना है।”

डॉ. रक्षित ने बताया, “एक हृदय विशेषज्ञ के रूप में, मैं कह सकती हूं कि स्वास्थ्य साथी कार्ड का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हृदय रोगियों के लिए एंजियोग्राम नामक एक परीक्षण, जिसमें छाती में ब्लॉकेज की जांच की जाती है, पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है। अगर मेडिकल स्टेंट का उपयोग किया जाता है, तो उसका भी पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है। अस्पताल मरीजों से एक भी रुपया नहीं लेता। अगर मरीज के दिल में एक से अधिक ब्लॉकेज हैं और बाईपास सर्जरी की आवश्यकता होती है, तो इस स्वास्थ्य कार्ड से अस्पताल को 90% कवर किया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में जैसे कि एंजियोग्राम या बाईपास सर्जरी से पहले इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और कुछ ब्लड टेस्ट करवाने होते हैं, जिसके लिए मरीज से मामूली शुल्क लिया जाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “स्वास्थ्य साथी कार्ड का उपयोग करना थोड़ा समय लेने वाला है। उदाहरण के लिए, मरीज के आने के बाद, प्रारंभिक ईसीजी और अन्य रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाती है। स्वास्थ्य विभाग यह समझता है कि मरीज के लिए कौन सा परीक्षण जरूरी है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग से अधिकृत अनुमति मिलती है। तभी सर्जरी शुरू की जा सकती है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अस्पताल में एक टीम की आवश्यकता होती है। हमारे अस्पताल में दो नर्स और एक स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी इस पर नजर रखते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया थोड़ी समय लेने वाली है, लेकिन इसके बाद हृदय रोगी का इलाज मुफ्त में किया जा सकता है। बस मरीज को समय से पहले आना होगा।”

डॉ. रक्षित ने बताया कि कई बार स्वास्थ्य साथी कार्ड में मरीज का नाम नहीं होता, जिससे समस्या होती है। ऐसे मामलों में मरीज के परिवार को बीडीओ ऑफिस भेजा जाता है। बीडीओ ऑफिस में यह समस्या 2-3 घंटे में सुलझा दी जाती है।

उन्होंने कहा, “कार्डियोलॉजी के अलावा, हमारे यहां ऑर्थोपेडिक सर्जरी, गॉलब्लैडर सर्जरी जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। हालांकि, कुछ मामलों में जैसे गाइनोकॉलॉजी सर्जरी पूरी तरह कवर नहीं की जाती। बाकी मामलों में हम मरीजों से चर्चा करके उनकी सहमति के बाद ही सर्जरी करते हैं।”

डॉ. रक्षित ने बताया, “पिछले दो वर्षों में मैंने इस अस्पताल में 200-300 से अधिक एंजियोग्राम सर्जरी की हैं और मुझे अब तक कोई समस्या नहीं हुई है।”

उन्होंने आगे कहा, “कई बार यह शिकायत सुनने को मिलती है कि अस्पतालों को भुगतान समय पर नहीं मिल रहा। लेकिन मेरे अनुभव के अनुसार, हमारा भुगतान आमतौर पर तीन महीने के भीतर पूरा हो जाता है। अभी तक हमें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है।”

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