दिल में आसमान छूने की ख्वाहिश, इसलिए रोजा रख कर भी कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं लड़कियां

कोलकाताः रमजान का मुकद्दस महीना चल रहा है. दुनिया भर में करोड़ों मुसलमान रोजा रख रहे हैं. रोजा रखने वालों में अमीर-गरीब, नौकरी पेशा, मजदूर सभी तरह के लोग हैं. कोलकाता में तो कई ऐसे भी रोजेदार हैं, जो इस गर्मी में रोजा रख कर भी रिक्शा खींच रहे हैं. वहीं कुछ लोगों के लिए रोजा सिर्फ भूखे रहना और दिन भर सोने का नाम है.
गरमी के इस मौसम में जब लोग अपने घरों और दफ्तरों में दुबके पड़े हैं, वहीं कुछ लड़कियां रोजे रख कर भी कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं. इन लड़कियों के दिलों में अपने धर्म का सम्मान के साथ-साथ जिंदगी में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश भी है.


कोलकाता के रामलीला पार्क में अंतरराष्ट्री कराटे कोच और चैंपियन एमए अली का कराटे क्लास रमजान के महीने में भी चल रहा है. उनके कराटे क्लास में सभी धर्म के बच्चे और बच्चियां आते हैं. इनमें कई मुस्लिम लड़कियां भी हैं. जो रोजा रखते हुए भी कराटे की कठिन प्रशिक्षण ले रही हैं.


उन लड़कियों का कहना है कि हमें कराटे में देश के लिए मेडल जीतना है. मेडल जीतने के लिए मेहनत करनी होगी. इस्लाम में कहा गया है कि सभी काम-धंधे जारी रखते हुए रोजा रखो. इसलिए हम रोजा रख कर भी अपनी ट्रेनिंग जारी रखे हुए हैं.
उनके कोच एमए अली ने कहा कि कराटे की ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है. इसमें काफी प्यास लगती है. रोजा रख कर कराटे की ट्रेनिंग करना वाकई बेहद हिम्मत का काम है. मैं इनके जज्बे को सलाम करता हूं. यही जज्बा इन लड़कियों के मेडल जीतने के काम आएगा. एमए अली ने कहा कि कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो रमजान में सिर्फ भूखे रहते हैं और सारा दिन सोते हैं. यह गलत है. हमें अपनी जिंदगी की तमाम जरूरतों को पूरा करते हुए रोजा रखना चाहिए. तभी तो हमें रोजे का असली मकसद समझ में आएगा.

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